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एआई की बढ़ती धूमधाम: क्या हमें चिंतित होना चाहिए?

एआई की बढ़ती धूमधाम: क्या हमें चिंतित होना चाहिए?

हाल के वर्षों में, एआई की धूमधाम ने सभी जगहों पर हलचल मचा दी है। कंपनियों ने इस तकनीक के विकास और इसके क्षमताओं को बढ़ाने में अरबों डॉलर का निवेश किया है। लेकिन मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के प्रसिद्ध प्रोफेसर डेरॉन एसेमो ग्लू ने इस तकनीक की बढ़ती लोकप्रियता और निवेश के पीछे की हकीकत पर सवाल उठाए हैं।

एसेमो ग्लू का दृष्टिकोण

प्रोफेसर एसेमो ग्लू ने स्पष्ट किया है कि वह एआई के प्रति नकारात्मक नहीं हैं। उन्होंने कहा, “मैं एआई का विरोधी नहीं हूँ।” वे एआई की संभावनाओं को समझते हैं, लेकिन इसके साथ जुड़े आर्थिक और वित्तीय खतरों के प्रति जागरूक भी हैं। उनका मानना है कि एआई उन अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाएगा जो निवेशकों और कंपनियों ने इस पर लगा रखी हैं।

क्या हैं एआई के वास्तविक प्रभाव?

एसेमो ग्लू के शोध से पता चलता है कि वर्तमान में केवल 5% नौकरियों पर एआई का असर पड़ सकता है। यह आंकड़ा कुछ कर्मचारियों के लिए अच्छा हो सकता है, लेकिन व्यवसायों के लिए, जो इस तकनीक पर अरबों खर्च कर रहे हैं, यह एक चिंताजनक संकेत है। उन्होंने कहा, “आपको उस 5% से आर्थिक क्रांति नहीं मिलने वाली है।”

निवेश में तेज वृद्धि

इस समय एआई निवेश ने लागतों को तेजी से बढ़ाया है, लेकिन कंपनियों जैसे माइक्रोसॉफ्ट और अमेज़न में राजस्व की वृद्धि की तुलना में ये लागतें कहीं अधिक हैं। एसेमो ग्लू ने चेतावनी दी है कि एआई की धूमधाम से चूकने का डर इसे बढ़ावा दे रहा है, और यह हाइप मशीन जल्द ही धीमी होने वाली नहीं है।

निष्कर्ष

जब हाइप बढ़ती है, तो गिरावट भी उसी अनुपात में होती है। एसेमो ग्लू की बातें यह संकेत देती हैं कि हमें एआई के विकास और निवेश के प्रति संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले समय में एआई उद्योग किस दिशा में बढ़ता है और इससे किस तरह के वास्तविक आर्थिक प्रभाव उत्पन्न होते हैं।

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