चागोस द्वीप समूह पर ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच समझौता: एक नई शुरुआत
ब्रिटेन ने अंततः चागोस द्वीप समूह का नियंत्रण मॉरीशस को सौंपने का निर्णय लिया है, जो दशकों की बातचीत के बाद संभव हुआ है। हालांकि, ब्रिटेन ने डिएगो गार्सिया पर अपने सैन्य अड्डे का नियंत्रण 99 वर्षों के लिए बनाए रखने का निर्णय लिया है। यह अड्डा संयुक्त रूप से अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा सुरक्षित किया जाता है।
समझौते का महत्व
इस समझौते के पीछे 11 दौर की बातचीत का इतिहास है, जिसमें द्वीप के स्वामित्व और स्थानीय जनसंख्या के विस्थापन के मुद्दों पर चर्चा हुई। मॉरीशस और ब्रिटेन के गवर्नरों ने इस गतिरोध के समाधान पर एक संयुक्त बयान जारी किया है।
एक संगठन, जो चागोस के निवासियों के अधिकारों के लिए लड़ाई कर रहा है, ने इस निर्णय की सराहना की है। उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि मॉरीशस सरकार चागोस के समुदाय के साथ मिलकर काम करेगी, ताकि हम वहां पुनर्वास कर सकें।”
अमेरिका का समर्थन
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस समझौते का स्वागत करते हुए कहा कि यह डिएगो गार्सिया के प्रभावी संचालन को अगले सदी तक सुरक्षित करेगा। अमेरिका ने पहले कहा था कि ब्रिटेन की संप्रभुता इस सैन्य अड्डे के लिए आवश्यक है।
भारत की भूमिका
भारत भी इस समझौते में शामिल बातचीत से अवगत था, क्योंकि यह भारतीय महासागर क्षेत्र की सुरक्षा और मॉरीशस तथा ब्रिटेन जैसे करीबी सहयोगियों से संबंधित है। भारत ने चागोस द्वीप समूह पर मॉरीशस के दावों का समर्थन किया है, जो उपनिवेशीकरण के सिद्धांत पर आधारित है।
निष्कर्ष
डिएगो गार्सिया का अड्डा अमेरिकी बमवर्षक विमानों के लिए एक महत्वपूर्ण लॉन्चपैड रहा है, जो इराक और अफगानिस्तान में अभियानों के लिए आवश्यक था। चागोस द्वीप समूह के निवासियों का जबरन स्थानांतरण एक गंभीर समस्या रही है।
यह नया समझौता न केवल चागोस के निवासियों के लिए एक नई शुरुआत हो सकता है, बल्कि यह ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच संबंधों में सुधार का भी संकेत है।
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