भारत-चीन संबंध: सीमा पर तनाव और डॉ. एस. जयशंकर की चेतावनी
भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने हाल ही में चेतावनी दी है कि चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव तब तक जारी रहेगा जब तक क्षेत्र में सैनिकों की अग्रिम तैनाती होती रहेगी। यह टिप्पणी उन्होंने अपने अमेरिकी समकक्ष एंथनी ब्लिंकन से वाशिंगटन डीसी में मुलाकात के बाद की, जो मोदी सरकार 3.0 के तहत उनकी पहली बैठक थी।
चीन द्वारा सीमाई समझौतों का उल्लंघन
डॉ. जयशंकर ने बताया कि चीन ने भारत के साथ LAC पर सीमाई समझौतों का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा कि जब तक ये मुद्दे हल नहीं होते, तब तक ये तनाव भारत-चीन संबंधों पर एक धुंधला असर डालते रहेंगे।
भारतीय सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भी चेतावनी दी कि LAC पर स्थिति सामान्य नहीं है और भारत का लक्ष्य 2020 से पहले की स्थिति को बहाल करना है। 2020 में लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ के बाद से भारत और चीन के बीच क्षेत्रीय टकराव चल रहा है।
तनाव और समझौतों का उल्लंघन
डॉ. जयशंकर ने कहा कि हमने सीमा को शांत और सुरक्षित रखने के लिए कई समझौते किए थे, लेकिन ये सभी समझौते 2020 में चीन द्वारा उल्लंघन किए गए थे। उन्होंने कहा कि सैनिकों की अग्रिम तैनाती के कारण तनाव पैदा हो रहा है और जब तक इसे संबोधित नहीं किया जाता, तब तक यह तनाव जारी रहेगा।
भारत और अमेरिका के बीच सहयोग
जयशंकर ने एंथनी ब्लिंकन के साथ अपनी चर्चा के दौरान वैश्विक और क्षेत्रीय चुनौतियों का सामना करने के लिए सहयोग पर भी जोर दिया। दोनों नेताओं ने जलवायु संकट, क्षेत्रीय सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देने की साझा प्रतिबद्धता व्यक्त की।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि चर्चा में द्विपक्षीय संबंधों के अलावा, पश्चिम एशिया, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र और हाल के घटनाक्रमों पर भी बात हुई, जिसमें यूक्रेन और रूस के साथ भारत के संबंध शामिल थे।
निष्कर्ष
भारत और चीन के बीच तनाव को कम करने के लिए न केवल कूटनीतिक प्रयासों की आवश्यकता है, बल्कि सैनिकों की तैनाती को भी फिर से विचार करने की आवश्यकता है। डॉ. जयशंकर के बयान ने स्पष्ट किया है कि जब तक ये मुद्दे हल नहीं होते, तब तक भारत-चीन संबंधों में सुधार की संभावना नहीं है।
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