चीन के विदेशी निवेश में ऐतिहासिक वृद्धि: संभावनाएँ और चुनौतियाँ
2024 की जून तिमाही में चीन के विदेशी निवेश ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है। चीनी कंपनियों ने वैश्विक संपत्तियों में 71 अरब डॉलर की वृद्धि की है, जो एक साल पहले की तुलना में 80% की वृद्धि दर्शाता है। यह आंकड़ा 1998 से अब तक के रिकॉर्ड में सबसे उच्चतम स्तर है।
निवेश की दिशा
इस वृद्धि का मुख्य कारण इलेक्ट्रिक वाहन और सौर ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में कंपनियों का बढ़ता निवेश है, जहां चीन वैश्विक प्रतिस्पर्धियों को पीछे छोड़ रहा है। ये निवेश आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में मदद कर सकते हैं, जिससे व्यापारिक तनाव को कम किया जा सकेगा।
आंकड़ों पर संदेह
हालांकि, इस रिकॉर्ड तोड़ वृद्धि के बावजूद कुछ विश्लेषकों ने चीन के निवेश आंकड़ों की सटीकता को लेकर चिंता जताई है। रोडियम ग्रुप ने इस बात पर जोर दिया है कि इन निवेशों का एक बड़ा हिस्सा “फैंटम कैपिटल” हो सकता है, जो वित्तीय उद्देश्यों से प्रेरित है, न कि वास्तविक आर्थिक गतिविधियों से। रिसर्च में पता चला है कि चीन के दो-तिहाई विदेशी निवेश रिटेन्ड अर्निंग्स, कर्ज, और अंतःकंपनी अंतरण थे, न कि विदेशी अर्थव्यवस्थाओं में सीधे निवेश।
एशिया और उभरते बाजारों में निवेश का ट्रेंड
फिर भी, एशिया और उभरते बाजारों में बढ़ते चीनी विदेशी निवेश का ट्रेंड स्पष्ट है। जबकि चीन के वैश्विक निवेश बढ़ रहे हैं, दूसरी ओर, चीन में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में गिरावट आ रही है। इसी अवधि के आंकड़े बताते हैं कि विदेशी निवेशकों ने चीन से रिकॉर्ड 115 अरब डॉलर निकाले हैं, जो देश की आर्थिक दृष्टिकोण के प्रति बढ़ती चिंताओं का संकेत है।
चुनौतियाँ
चीन की अर्थव्यवस्था को ऊँचे सार्वजनिक ऋण, रियल एस्टेट चुनौतियों और बेरोजगारी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में यह देखना बाकी है कि क्या हालिया प्रोत्साहन उपाय विदेशी निवेश में गिरावट के रुझान को पलटने में सक्षम होंगे।
निष्कर्ष
चीन के विदेशी निवेश में ऐतिहासिक वृद्धि संभावनाएँ तो दर्शाती है, लेकिन साथ ही कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है। वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में यह बदलाव किस दिशा में जाएगा, यह आने वाला समय ही बताएगा।
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